जीएसटी की पक्षधर कांग्रेस का अब विरोध में होना विडम्बना
By शिव शरण त्रिपाठी
आखिरकार लगभग १५ वर्षों के सतत् प्रयासों के परिणाम स्वरूप ३० जून की आधी रात को देश में एक कर 'जीएसटी' (गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स) यानी वस्तु एवं सेवाकर लागू हो गया। इसके लागू होने से १७ तरह के टैक्स और २३ सेस एक झटके में समाप्त हो गये। अब 'एक देश एक कर' के तहत जीएसटी की चार दरें ५, १२, १८ एवं २५ फीसद लागू हो गई हैं। जिनमें से २६३ वस्तुओं पर ५ फीसद, २४२ वस्तुओं पर १२ फीसद, ४५३ वस्तुओं पर १८ फीसद व २२८ वस्तुओं पर २८ फीसद कर लगाया गया है।
विडम्बना यह देखिये कि उसी कांग्रेस ने इस कर प्रणाली का अंत तक विरोध किया जिसने इस कर को लागू करने की पहल की थी। अन्य विपक्षी दल तो सिवाय विरोध की परम्परा का निर्वाह करने की दृष्टि से समारोह में शामिल नहीं रहे। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री व जद सेकुलर के प्रमुख एचडी देवगौड़ा, राकांपा के मुखिया शरद पवार व जदयू सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों के शामिल होने से साफ हो गया कि विपक्षी दलों में इस मुद्दे पर भी एक जुटता नहीं है।
संसद के केन्द्रीय कक्ष में शुक्रवार की आधी रात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घंटा बजाये जाने के साथ जीएसटी लागू हो गया तथा प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण कर सुधार की तुलना आजादी से करते हुए कहा कि यह देश के आर्थिक एकीकरण में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। संसद के केन्द्रीय कक्ष में हुई विशेष बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने इसे ऐतिहासिक क्षण करार दिया और कहा कि यह कराधान के क्षेत्र में एक नया युग है जो कि केंद्र एवं राज्यों के बीच बनी व्यापक सहमति का परिणाम है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दायरे के लोगों द्वारा किया गया प्रयास है जिन्होंने दलगत राजनीति को परे रखते हुए राष्ट्र को आगे रखा। उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र की परिपक्वता और बुद्धिमत्ता का सम्मान है।
इससे पहले समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जीएसटी सभी राजनीतिक दलों के सामूहिक प्रयासों की देन है। उन्होंने कहा कि यह सभी राज्यों एवं केंद्र के वर्षों तक चले विचार विमर्श का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जीएसटी सहकारी संघवाद का एक बेहतर उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल ने विभिन्न रियासतों को मिलाकर भारत का एकीकरण संभव कराया था, उसी प्रकार जीएसटी के कारण देश का आर्थिक एकीकरण होगा। उन्होंने कहा कि इसमें शुरूआत में थोड़ी दिक्कत आ सकती है लेकिन इसके कारण सभी वर्गों के लोगों को लाभ मिलेगा। मोदी ने देश के व्यापारी वर्ग से अपील की कि जीएसटी लागू होने से उन्हें जो लाभ होता है उसका फायदा वे गरीब तबके के लोगों तक पहुंचाएं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने की लंबी यात्रा का उल्लेख करते हुए इसमें शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जीएसटी लागू होने से दीर्घकाल में महंगाई पर लगाम लगेगी और कर वंचना कम होगी। संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आजादी सहित यह चौथा ऐसा मौका है जब मध्य रात्रि के समय कोई कार्यक्रम हुआ। 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि के अलावा, 1972 में स्वतंत्रता की रजत जयंती और 1997 में स्वर्ण जयंती के अवसर पर ऐसे कार्यक्रम हुए थे।
जीएसटी से देश की 2,000 अरब की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोग सभी एक साथ जुड़ जायेंगे और पूरा देश एक साझा बाजार बन जायेगा। इस समूची प्रक्रिया को पूरा होने में 17 सालों का लंबा समय लगा है। जीएसटी को कारोबार सुगमता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। हालांकि, छोटे कारोबारी और व्यापारी इस नई कर प्रणाली को लेकर कुछ घबराहट में हैं। देश के जाने-माने कर विशेषज्ञों का आकलन है कि इस नई कर प्रणाली से कर चोरी करना असंभव न भी सही तो बेहद मुश्किल तो होगा ही। इससे जहां करदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होगी वहीं कर से सरकारी आय में उल्लेखनीय वृद्धि तय है।
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