राज्यसभा में बहुमत होने दीजिए, मोदी और बड़े काम करेंगे
By बाल मुकुन्द ओझाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खतरों के खिलाड़ी हैं। वे हर समय कुछ नया करने की सोचते हैं। उनकी मंशा की थाह लेना मुश्किल है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी उन्होंने वह किया जो हर किसी के लिए संभव नहीं था। प्रधानमंत्री बनने के बाद वे एकाएक ही प्रादेशिक से राष्ट्रीय परिदृश्य पर धूमकेतु की तरह छा गए। राजनीति में ऐसे उद्धरण मिलना कठिन है। भाजपा के शीर्ष नेता भी मोदी की गति और प्रगति का अनुमान नहीं लगा पाए। 80 वर्ष पार कर चुके नेताओं को घर बैठाकर अपने मंत्रिमंडल से दूर रखना कोई सरल कार्य नहीं था। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर और यशवंत सिन्हा जैसे अग्रिम पंक्ति के नेता मोदी की आभा के आगे टिक नहीं पाए। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा के एक जूनियर नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाकर सब को चौंका दिया। नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लेकर भारत ही नहीं अपितु विश्व राजनीति में अपने दमखम का परिचय दिया। और तो और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर एक लो प्रोफाइल कनिष्ठ नेता को राष्ट्रपति के पद पर मनोनीत कर एक बार फिर सब को अचंभित कर दिया। और अब जीएसटी का छक्का लगाया है। इसीलिए अगर मोदी को खतरे का खिलाड़ी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
मोदी और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं। कुछ बाधाएं हैं जिनके दूर होने का इंतजार किया जा रहा है, इनमें एक बड़ी बाधा राज्य सभा में भाजपा के बहुमत की है। जिस दिन यह बाधा दूर हो जाएगी उस दिन भारतीय राजनीति का यह चमकता धमकता सितारा आपको वह करके दिखायेगा जिसकी कल्पना मात्र से आप रोमांचित हो जाएंगे। निर्णय लेने की अपनी अद्भुत क्षमता और लोकप्रियता में अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों को वह पीछे छोड़ सकते हैं। जीएसटी यदि अपनी प्रारंभिक बाधाओं से निकलकर कामयाब होता है तो नरेंद्र मोदी को देश का सबसे शक्तिशाली और सर्वमान्य नेता बनने से कोई ताकत नहीं रोक पायेगी।
यह भी सत्य है की मोदी जैसे जैसे अपनी विजय पताका फहराते जायेंगे वैसे वैसे विवाद भी उनके साथ चलेगा। आजादी के बाद 10−15 वर्षों को छोड़ दें तो बाकी 50−55 वर्षों तक कांग्रेस का देश पर एकछत्र राज रहा है। और अपने इस राज के दौरान कांग्रेस ने भी किसी की नहीं सुनी। वही किया जो उन्हें पसंद था। इसका मतलब यह नहीं है कि देश का विकास नहीं हुआ। मगर लगातार एक ही पार्टी के राज के कारण संस्थागत बुराइयों का समावेश कांग्रेस में हुआ। विशेषकर 1967 से 1977 तक देश की अस्मिता से भारी खिलवाड़ हुआ और भ्रष्टाचार से देश तिलमिला उठा। तत्कालीन सत्ताधारियों ने अकूत नामी और बेनामी संपत्ति कब्जा ली। विपक्ष उन दिनों कमजोर और बंटा हुआ था और इसी कारण विपक्ष के आंदोलन का सत्ताधारियों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। सत्ता की इस मनमानी के खिलाफ नव निर्माण आंदोलन का जन्म हुआ। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को अंततोगत्वा संघर्ष का नेतृत्व करना पड़ा। आपातकाल को हम सब ने झेला। लाखों लोगों को जेल में डाला गया। जो जेल नहीं जा पाए वे दर दर भटकते रहे। मनमोहन सरकार के दौरान हुए घोटाले भी किसी से छिपे नहीं हैं। आज नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व के कारण भाजपा सत्तारूढ़ हुई है। इसलिए स्वाभाविक है कि कांग्रेस अपनी करारी हार को पचा नहीं पाई। मोदी को अधिक सतर्कता के साथ अपने जनहितकारी कार्यों को अमल में लाना होगा। विपक्ष को विश्वास में लेना भी सत्ताधारियों की जिम्मेदारी है चाहे वे सहमत हो या न हो।
यहाँ हम मोदी सरकार के तीन वर्षों की उपलब्धियों की चर्चा करना चाहेंगे जिनके बूते मोदी ने लोगों का दिल जीता है। एक जुलाई से देश में जीएसटी लागू हो गया है। इसे आजादी के बाद देश का सब से बड़ा कर सुधार माना जा रहा है। यदि जीएसटी की शुरुआती दिक्कतों को मोदी सरकार दूर करने में सफल हो जाती है और जीएसटी देश में कामयाब होती है तो निश्चय ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मजबूत और सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित होंगे। जीएसटी की यह उपलब्धि भी मोदी सरकार के खाते में जाएगी। इसका लाभ अगले लोकसभा चुनाव में मिलने की आशा भी व्यक्त की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने अपने 3 साल पूरे कर लिए हैं। इन 3 सालों में मोदी सरकार ने अनेक क्षेत्रों में सफलता के परचम फहराए इसमें कोई दो राय नहीं है। इस अवधि में मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि सरकार के किसी मंत्री पर कोई भी भ्रष्टाचार या घोटाले का आरोप नहीं लगा। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जनता की आशाओं, अपेक्षाओं पर नितांत खरे उतरे। जन विश्वास अर्जित कर मोदी ने देशवासियों का आत्मसम्मान व राष्ट्र का गौरव बढ़ाने का काम किया है।
मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में भारत ने विश्व आर्थिक क्रांति का उद्घोष कर विकास के प्रेरक के रूप में अपना स्थान सुरक्षित किया है। पहली बार भारत में बिजली और कोयले का अतिरिक्त उत्पादन हुआ है। ऊर्जा विकास काफी आशाजनक है। देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सबसे अधिक सार्वजनिक निवेश हुआ है। सभी आर्थिक मूल सिद्धांत सतत् आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है।
मोदी सरकार की नीयत साफ है वह देश को प्रगति के नये पथ पर ले जाना चाहती है। मोदी सरकार ने इन 3 सालों में कई क्रांतिकारी और जनहित के फैसले लिए, जो कि सीधे−सीधे आम आदमी को प्रभावित करते हैं। इन 3 सालों में मोदी सरकार द्वारा लिया गया सबसे बड़ा फैसला 500 और 1,000 रुपए के नोटों का विमुद्रीकरण करना रहा। इस फैसले से देश की आंतरिक अर्थव्यवस्था में फैले कालेधन पर मोदी सरकार ने चोट की और इसमें सफल भी रहे। प्रारंभिक परेशानियों के बावजूद नोटबंदी का फैसला कालेधन के खिलाफ सकारात्मक कदम रहा। नोटबंदी के अलावा मोदी सरकार ने बेनामी संपत्ति और बेनामी लेन−देन पर शिकंजा कसने के लिए लिए कानून में संशोधन करके इसे सख्त बनाया है। साथ ही, जुर्माने के साथ सजा का भी प्रावधान है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना भी सरकार का एक सराहनीय प्रयास है। योजना के अंतर्गत भारत सरकार एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करा रही है। एलपीजी कनेक्शन केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन−यापन करने वाले परिवारों से संबंधित महिलाओं को दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार अगले 3 सालों में 5 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे जीवन−यापन करने वाले परिवारों को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़ 20 लाख परिवारों को अब तक एलपीजी कनेक्शन मिल चुका है। सरकार के इस कदम की सर्वत्र सराहना हुई है।
सरकारी राशन की दुकानों पर भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। सरकारी राशन की दुकानों से सब्सिडी वाले अनाज के लिए आधार संख्या अनिवार्य होने जा रही है। इसके बाद लाभार्थियों को राशन की दुकान पर आधार नंबर देना होगा ताकि लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे सब्सिडी ट्रांसफर की जा सके। सरकार की इस पहल का मकसद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.5 लाख करोड़ रूपये की भारी−भरकम सब्सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है। सरकार ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी नागरिकों को आधार से जोड़ कर भ्रष्टाचार व बिचौलियों को खत्म करने का प्रयास किया। सरकार के इसी प्रयास से करीब 49,560 करोड़ रुपए की राशि खाता धारकों तक सीधे पहुंच चुकी है।
मोदी सरकार ने विश्वास है, हो रहा विकास है शीर्षक के साथ दिए गए विज्ञापन में अपनी सरकार की उपलब्धियों के 11 बिंदुओं को मोटे तौर पर गिनाया है। सरकार ने नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, वन रैंक वन पेंशन जैसे बड़े फैसलों के साथ ही उन तमाम चीजों का जिक्र किया है जो सीधे जनता से जुड़ी हैं। भ्रष्टाचार मुक्त शासन, विदेशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित घर पहुंचाना, जनभागीदारी से स्वच्छ भारत अभियान, अंतरराष्ट्रीय जगत में बढ़ती प्रतिष्ठा, उज्जवला योजना और जीएसटी के फैसले को भी इन बिंदुओं में शामिल किया गया है। निश्चय ही प्रधानमंत्री जनता का विश्वास जीतने में सफल हुए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश जैसे देश के सब से बड़े राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत ने यह साबित कर दिया है कि मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। कई टीवी चैनलों के सर्वे में भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता आज भी कायम होने की बात कही गयी है। इन सब के बाद भी जनता जनार्दन की मंशा है कि मोदी और तेजी से काम करें और देश में गड़बड़ी फैलाने वाले तत्वों से सख्ती से निपटें। रोजगार उपलब्ध करने की दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है।
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